उत्तराखंड की लाखों एकड़ की उपजाऊ जमीन क्यों बंजर बन गई ?

उत्तराखंड की लाखों एकड़ उपजाऊ जमीन जंगली जानवरों और बंदरों की वजह से बंजर पड़ी है जिससे प्रदेश और इसके वासियों को हर वर्ष ना जाने कितने अरब रुपयों का नुक्सान उठाना पड़ रहा है।यहाँ के मूल कृषक इतने संपन्न नहीं हैं कि लाखों रुपया खर्च करके सौर करंट के तार-बाड़ लगाकर खेती कर सकें। हालाँकि राज्य सरकार साधारण बाड़ लगाने के लिए सब्सिडी देती है पर उससे बंदरों की रोकथाम नहीं हो पाती है। बन्दर ३००-४०० के झुण्ड में खेतों में घुस जाते हैं और फल-सब्जी नष्ट कर चले जाते हैं। सरकारी योजनाएं बहुत बनती हैं पर सबके के लिए पूरी नहीं पड़ती और बहुत कुछ भ्रष्टाचार के माथे चढ़ जाती हैं। मूल उत्तराखंडी सब सहते हुए जैसे-तैसे जिंदगी बसर कर रहे हैं।

उत्तराखंड में आज चारों तरफ उजड़े खेत देखकर कितना बड़ा राजस्व यह प्रदेश हर वर्ष खो रहा है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। वास्तव में जब से उत्तराखंड अलग राज्य बना है यहाँ के वातावरण के हिसाब से कोई योजना नहीं बनी। उद्योग भी लगे तो यूपी से सटे हरिद्वार में लगे जिससे यूपी के लोगों को फायदा हुआ। जबकि होना यह चाहिए था कि उद्योग के अनुसार साथ-साथ उत्तराखंडियों को तकनीकी शिक्षा-प्रशिक्षण की व्यवस्था पहले की जाती और उनमें उत्तराखंडियों की भर्ती की अनिवार्यता की जाती। आधी-अधूरी योजनाओं ने इस प्रदेश के मूल निवासियों को गरीबी के गर्त में धकेल दिया है।

जब गाँवों से लोग पलायन कर गए तो गाँवों में सड़क बनी। अब जो लोग गाँवों बचे रह गए हैं वो मजबूरी और गरीबी की वजह से रुके हुए हैं। मूल उत्तराखंडी इतने संपन्न नहीं हैं कि कोई बड़ी खेती या बाग़ लगा सकें। पहाड़ों की यह भी समस्या है कि किसी एक कृषक के छोटे-छोटे खेत कई जगह छितरे रहते हैं। ऐसे में यदि कोई बाड़ लगाना भी चाहे तो उसे दूसरे के खेतों से गुजरना पड़ेगा जो विवाद का कारण बन जाता है ।

जंगलों की जिम्मेदारी वन विभाग की है, उन्नत खेती के लिए कृषि विभाग जिम्मेदार है और मूल निवासी पलायन न करें यह पूरी सरकार की जिम्मेदारी है। अतः कृषि विभाग को चाहिए कि वह पूरे उत्तराखंड के खेतों में तार-बाड़ निःशुल्क लगाए और वन विभाग बंदरों को पकड़कर उनकी नसबंदी करके पिंजरों में रखे। पूर्वोत्तर के पहाड़ी राज्यों की तरह यदि उत्तराखंड का भी इसी तरह अनदेखी होती रही तो यहाँ भी बाहरी लोगों का वर्चस्व हो जाएगा और मूल निवासी नक्सलवाद की गिरफ्त में चले जाएंगे।

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